आज मकर संक्रान्ति है | आज के दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर अपनी यात्रा प्रारंभ कर (जिसे हमलोग उत्तरायण के नाम से जानते है ) धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है | भारत में मकर संक्रान्ति पर्व आध्यत्मिक , सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टीकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है | परम्परागत रूप से यह पर्व कृषको का उत्सव पर्व है जिसे शस्योत्सव (फ़सल कटने पर मनाया जाने वाला उत्सव) के नाम से भी जाना जाता है | शस्योत्सव होने के अलावा हिन्दू संकृति में मकर संक्रान्ति का अपना आध्यत्मिक महत्व है, मकर संक्रान्ति को एक शुभ चरण की शुरुआत के रूप में माना जाता है हिंदू मत के अनुसार यह पर्व अशुभ समय के अंत और शुभ समय के प्रारंभ का सूचक है , आज के दिन दान धर्म करने की भी बहुत महत्ता है | वैज्ञानिक दृष्टी से आज से दिन लम्बे और राते छोटी होना प्रारंभ होती है और ठिठुरती ठण्ड से ग्रीष्म ऋतू का धीरे धीरे आगमन होता है | पर बच्चो के लिए यह पर्व कुछ अलग ही मायने रखता है |
उत्तर भारत में और खास करके बनारस, जहाँ से मैं हूँ इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है | आज के दिन पूरा आकाश पतंगों से सजा रहता है और रह रह के भाग काटे के ध्वनी कानो में आती रहती है | आज के दिन गंगा में अनगिनत लोग स्नान करने के लिए दूर दूर से आते है और स्नान के बाद दान पुण्य करते है | तिल के लड्डू और मिठाइयो के बिक्री जोर शोर से होती है और ह़ा पतंगों के भाव तो पुछीये ही मत जितनी बड़ी, छरहरी पतंग और जितनी तेज धार वाली नख (सूत) उतना महंगा उसका मूल्य | पर आज के दिन लोग दाम नहीं पतंगों का दम देखते है | गंगा घाट पर बड़े और बच्चे नावों में सवार होके लोग पतंग लूटने के लिए तैयार रहते है |
दोपहर को लोग सपरिवार स्वादिष्ट खिचड़ी के साथ तिल के लड्डू और दूसरे व्यंजन खाते है | और भोजन समाप्त होने के साथ साथ हो पतंगों की लड़ाई एक बार फिर शुरू हो जाती है | दोपहर से शाम तक ४-५ घंटे जम के पतंग बाजी होती है | पतंग बाजी के नए नए कीर्तिमान बनते और बिगड़ते रहते है | शाम होते होते धीरे धीरे आसमान खाली होने लगता है , सूत से भरी और खाली लठाई विजेता की घोषणा कर रहा होता है पर दूर कह़ी पेड़ पे अटकी हुई पतँग अगले साल एक बार फिर खिचड़ी की राह तकने लगती है |
इस नए वर्ष आप भी संक्रांति धूम धाम से मनाये इसी आशा के साथ आपका अपना -- सुदीप चक्रवर्ती
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